Thursday, December 19, 2013

आशिकी प्रेम पतिया 


 ज्यादा वक़्त नहीं गुजरा जब आशिक बड़ी मोहब्बत से 

ख़त लिखा करते थे। नया नवेला आशिकी प्रेम पत्र को 

रोमांटिक बनाने के लिए हिंदी लिट्रेचर में डुबकी लगाया 

करता था। ग़ालिब से लेकर मीर तक कि शायरी के 

दरिया में तैर जाया करता था। कुछ जुनूनी क़िस्म के

पागल प्रेमी लहू कि लाल स्याही से मोहब्बत का पैगाम 

लिखा करते थे।

आशिक के रकीब यानि प्रेमिका के बाकी प्रेमी भी इसी 

ख़तनुमा आइटम के जरिये उसे ठिकाने लगाने कि

 कोशिश करते थे। वो आशिक के नाम से गलीयों  का 

ख़त प्रेमिका के घर पर टपका आते हालाँकि लड़की के 

घर वाले यह जानते थे कि ये ख़त उस लड़के ने नहीं 

लिखा, जिसके नाम से भेजा गया। लेकिन घर वालों कि 

प्रतिबन्धित सूचि मेंआशिक का नाम आना तय हो 

जाता है। लड़किया प्रेम पत्र नहीं लिखती थी इस बात के 

इतिहास में सबूत नहीं अलबत्ता ज्यादा तर अपने नाम 

से नहीं लिखा करती थी और बहुत विश्वाशपात्र 

सहेलिया ही उनके खतों की पोस्टमैन होती थी।



लेकिन बात गुज़रे ज़माने कि नहीं गुजरते ज़माने कि है।

 sms का तूफ़ान कम्बखत मोहब्बत कि इस परंपरा को 

उजाड़ गया। स्कूली sms मुहब्ब्त की गाडी कई बार 

'बैलेंस 'के झँझट में पटरी से उतर जाती है।


अनपढ़ से अनपढ़ टपोरी आशिक के पास भी मोबाइल 

नामक ये यंत्र है। जिससे भेजे sms से समझ नहीं आता 

कि किस केटेगरी का आशिक है। भोंदू-नादान-चिरकुट-

रक्तप्रिय..........किस टाइप का एक ही sms फॉरवर्ड हो 

हो कर  इतनी बार महबूब के पास पहुचता है कि पता 

नहीं चलता कि sms में व्यक्त भावनाए रामू की है या 

श्यामू की।

हालाँकि मोबाइल ने लड़कियों  को भी सुविधा दी है कि 

वो आँखों के तीर से घायल हुए तमाम परिंदों को sms का 

चारा डालकर लपेट ले। लुटे -पिटे आशिकों के शोध 

बताते है कि एक महीने तक मुफ्त का सेवक पाकर तर्र 

हुआ छोरा एक महीने तक मुफ्त का सेवक होता है।

दुहने के बाद गाय को पता चलता है कि ढूढ़ -मलाई 

-मक्खन और घी सब कुछ कोई और खा गया है, तो वो 

उस प्राणप्रिय sms को डिलीट कर नए सिरे से कोशिश में 

जुट जाता है।

कंफ्युसन के बावजूद sms पर रोमांस धड़ल्ले से जारी है। 
सर्वे बता रहे है कि दफ्तरों में रोमांस अब मोबाइल के 


बिना दम तोड़ देंगे। कालेजो में भी बीप-बीप की

चहचाहा हट कयिओं की मुहब्बत ज़िंदा रखे है।

sms धर्म -निरपेक्ष भाव से इंस्टेंट प्यार करने वाली 

बिरादरी कि सेवा कर रहे है।

लेकिन इस smsi मुहब्बत के युग में भी कुछ मजनू 

अपनी लैला को प्यार कि पाति लिखे बिना बाज़ नहीं 

आते। उन्हें न जाने क्यों ढाई आखर प्रेम के हाथ से 

लिखने में हीं आनंद आना है नयी पीढ़ी उन्हें 'बैकवर्ड ' 

कहते हुए ताना कस्ती है 'मजनू है न '. 

Wednesday, November 27, 2013

''आशिकी प्रेम पातिया ''


Dearest person first ,
                                   you are really so sweet.

''कहते है जिन आँखों में सच्चे सपने बस्ते है ,वो आंसुओं के बहने से कभी नहीं बहते ''


जब तुम सच में किसी को चाहते हो तो खोने और पाने 

का डर छोड़ दो , अपनी हर छोटो सी छोटी बात को 

अपने शब्दो में विस्तार से कहो क्योंकि जो तुम्हारा है

वो तुम्हारा ही रहेगा इसमें तुम ,आप ,मै  के लिए कोई

जगह नहीं है। ज़िन्दगी में प्यार जरुरी है इस प्यार कि 

अहमियत को समझो क्योंकि यह प्यार हर किसी को 

नसीब नहीं होता है। 

              शरद  ऋतू की यें शीतल चांदनी और मीठी सी 

सुबह बहुत लोगो को दीवाना बना रही होगी और अपने 

घर की अटरिया पर बैठता वहाँ पर रखे गमलो और उन 

पौधों को देख रहा था जिन पर कल रात चांदनी में ओंस 

की बूंदो में जैसे अमृत बरसाया हो।  सुबह वह बूंदे पत्तों 

की हथेलियो और फूलों की पलकों पर ठहर कर जैसे मेरे 

लिए बुला रही हो कि ऐ  मेरे मीत अब तो आ जा तुझे 

तेरा प्यार पुकारे ……...

घर की तरफ से आता इक हवा का झोंका हलकी सी सर 

-सराहट के साथ मेरे कमीज़ के अंदर से होते हुए मेरे

जिस्म को छू कर गई ,मानो मेरी भावनाओ को इन 

फ़िज़ाओ ने तुम तक पंहुचा दिया हो और ये नर्म ठंडक 

भरी चुम्बिश ,तुम्हारे होंटो के चुम्बन का एहसासकराती 

मुझे जवाब दे रही हो कि लो अब तो खुश हो न .....

                            thanks to nature,
                            thanks to you..........कि तुम मेरे हो। 

                            Really love you so much for ever.



कुछ एहसास, कुछ यादें ऐसी होती है जिन्हे कभी भुलाया

या मिटाया नहीं, जिस्म शायद एक बार महसूस करना 

छोड़ दे पर वो आत्मा जो तुम्हारी यादों के खजाने को

संजोये हुए है वो कभी ख़तम नहीं हो सकती है मै जन्मो

के बंधन से मुक्त एक अमर प्रेम कि कामना करता हूँ 

मैआसमान में तारो के सहयोग से तुम्हारा 

नाम टिमटिमाते हुए अक्षरों में लिखना चाहता हूँ फूल 

अपनी महक ,सूरज अपनी रौशनी और दिन-रात वक़्त

 के साथ अपने समय में परिवर्तन कर सकते है प्रिया

 i sawyer.........मेरा प्यार तब भी हज़ार नफरतों के 

बीच एक कोंख में पल रहे बच्चे कि तरह ही कोमल 

और मासूम रहेगा मै अपना प्यार तुम्हारे दिल में नहीं 

आत्मा में बसाना चाहता था मै चाहता था जब तुम बात

करो तो उन बातों में सिर्फ मै रहूँ तुम जब पलके खोलों 

तो उन नज़रो में मै रहू, तुम पलके बंद करो तो सपनो में 

मै रहू।



                                                                         मै     
कुछ नहीं कर पाया यह सब तो मेरी हसरत ही रह गयी,

उम्मीदों का चिराग जलाये आज भी उसी के आस -पास 

भटक रहा हू एक दिन मेरा भी वक़्त आयेगा और मै भी 

किसी परवाने कि तरह राँख हो जाउंगा जब ज़िन्दगी 

कहर बनकर टूटती है तो दिल अपनी धड़कने मन 

अपनी चंचलता और सांसे मौत का दामन थामने को 

बेक़रार हो जाती है पर फिर भी जीना तो पड़ता ही है 

मै भी जी रहा हूँ एक उम्मीद लेकर एक आंश लेकर एक 

दिन मेरा टुटा हुआ दिल कोमल भरी मुस्कान के साथ 

हंश पड़ेगा एक दिन तुम मेरा हाथ अपने हाथों में 

थामकर मेरे साथ कदम बढाकर चलोगी एक दिन तो 

बनोगी तुम मेरी दुल्हन …… बोलो बनोगी न।



ज़िन्दगी ग़मो से दूर नहीं होती ,
हर ख़ुशी दिल के करीब नहीं होती,
दोस्ती को प्यार से सजाकर रखना मेरे दोस्त,
ये वो इबादत है जो सबको नसीब नहीं होती,
                                                                                                       योर डिजिटल हार्ट
                          राज